सोमवार, 5 मई 2025

पहलगाम हमला किया [सजल]

 224/ 2025

      

समांत        :आन

पदांत         : अपदांत

मात्राभार     :24

मात्रा पतन   : शून्य।


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


बेशर्मी       की    तोड़ता,  सीमा पाकिस्तान।

हँस -हँस  कर बेहाल है,देखो सकल जहान।।


पहलगाम  हमला   किया, मर्यादा कर  भंग।

उसे  नहीं चिंता  कभी,खींच  रहा जग कान।।


निर्दोषों   की  जान    के,आतंकी क्यों   शत्रु।

उदरों  में  भोजन   नहीं,  नहीं   घरों पर छान।।


जाति -धर्म    को   पूछ कर, फैलाया  आतंक।

लिए   कटोरा   हाथ  में,  कहता स्वयं   महान।।


खंड -खंड    भारत   हुआ,बने  एक के  तीन।

चाहत    भरी    खटास  से,ताने तीर कमान।।


थू- थू   छी-छी  हो   रही, जग  में चारों ओर।

कानों   से  बहरा  हुआ, माँगें जीवन  - दान।।


'शुभम्'  भभकियाँ  दे रहा, काँप  रहे  हैं  पैर।

नाल    ठुकाए  मेंढकी, भले निकलती   जान।।


शुभमस्तु !


05.05.2025●5.30आ०मा०

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