लेखक एवं कवि परिचय


प्रो.(डॉ.) भगवत स्वरूप 'शुभम्'
   प्रो.(डॉ.) भगवत स्वरूप 'शुभम्'   

पचास के दशक में ब्रज क्षेत्र के छोटे से गाँव में जन्मे डॉ. भगवत स्वरूप जी का रुझान बचपन से ही कविता एवं साहित्य में रहा है।इनकी लेखन - यात्रा दस वर्ष की आयु से प्रारंभ हुई जोकि अभी तक जारी है। डॉ. 'शुभम्' की अब तक विभिन्न विधाओं (खण्ड काव्य, महाकाव्य ,व्यंग्य , कुंडलिया, गीत, ग़ज़ल गीतिका ,बाल काव्य, हास्य व्यंग्य, उपन्यास आदि) की सत्रह कृतियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं। जिनके नाम क्रमशः इस प्रकार हैं: ‘श्रीलोकचरितमानस' (व्यंग्य काव्य), 'बोलते आँसू' (खंडकाव्य), 'स्वाभायनी' (गज़ल संग्रह), नागार्जुन के उपन्यासों में आंचलिक तत्त्व ( शोध-ग्रंथ), 'ताजमहल' (खंडकाव्य), 'ग़ज़ल' (मनोवैज्ञानिक उपन्यास), 'सारी तो सारी गई' (हास्य व्यंग्य काव्य), 'रसराज' (गज़ल संग्रह), 'फिर बहे आँसू' (खंडकाव्य), 'तपस्वी बुद्ध' (महाकाव्य), 'आओ आलू आलू खेलें' (बालगीत संग्रह), 'शुभम व्यंग्य वातायान', 'शुभम' स्तवन मंजरी, 'विधाता की चिंता' (व्यंग्य संग्रह), 'शुभम गीत गंगा' (गीत संग्रह),' शुभम कुण्डलियावली', 'शुभम ग़ज़ल-गीतिकायन'। वह 3000 कविताएँ , तीन उपन्यास , एक कहानी संग्रह , तीन खंड काव्य और एक महाकाव्य लिख चुके हैं।कुछ पुस्तकें अभी प्रकाशन के अधीन हैं। इनकी लेखन शैली में खड़ी बोली के साथ-साथ ब्रज भाषा का भी अलंकृत समिश्रण है।इन्होंने 33 वर्ष तक उच्च शिक्षा के अंतर्गत प्रदेश के विभिन्न राजकीय महाविद्यालयों में हिंदी प्रोफ़ेसर तथा प्राचार्य के रूप में सेवा प्रदान की है। लेखन के इस सफर में डॉ भगवत स्वरूप जी को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड(UWA), हिंदी सेवी सहस्राब्दी सम्मान , दलित साहित्य अकादमी सम्मान आदि से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा इनका जीवन परिचय भारत की 12 और अमेरिका की एक निर्देशसंहिता में प्रकाशित हुआ  है।

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