प्रो.(डॉ.) भगवत स्वरूप 'शुभम्' |
लेखक एवं कवि परिचय
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किनारे पर खड़ा दरख़्त
मेरे सामने नदी बह रही है, बहते -बहते कुछ कह रही है, कभी कलकल कभी हलचल कभी समतल प्रवाह , कभी सूखी हुई आह, नदी में चल रह...
प्रो.(डॉ.) भगवत स्वरूप 'शुभम्' |
मेरे सामने नदी बह रही है, बहते -बहते कुछ कह रही है, कभी कलकल कभी हलचल कभी समतल प्रवाह , कभी सूखी हुई आह, नदी में चल रह...
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