557/2022
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✍️ शब्दकार ©
🌹 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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नए वर्ष तेईस का, शुभागमन है मीत।
आओ आजीवन चलें,गा प्रियता के गीत।।
हुई भूल यदि विगत में,क्षमा करें मम भूल।
मिला कदम से हम कदम,रहें सदा अनुकूल।
प्रभु से ऐसी कामना,स्वस्थ सुखी संसार।
सबका ही कल्याण हो,करें जीव उपकार।।
शब्द-साधना से बने, जीवन का संगीत।
वही शब्द मुख से कहें, बनें नहीं विपरीत।।
कर्म किए प्रारब्ध में,उसका ही परिणाम।
आज हमें है मिल रहा,प्रातः निशिदिन शाम।
कल से प्रेरण प्राप्त कर,सुखद करें भवितव्य
नए वर्ष में नित्य ही, करें पूर्ण कर्तव्य।।
देश रहा तो हम रहें, देश बिना क्या अर्थ।
श्वान सदृश जीते रहे, जीना तेरा व्यर्थ।।
अपनी भाषा जननि का,घटे न तिल भर मान
जनक और गुरु ईश हैं,रहना मत अनजान।।
करनी ऐसी कीजिए, बढ़े देश का मान।
यशः काय जीवित रहे, कर्मों पर दे ध्यान।।
कविता के आदर्श को, जीवन में ले धार।
कथनी करनी एक हो,जन-जन का उपकार।
'शुभम्'साधना काव्य की,जगहित्कारी मीत।
शब्दों में संगीत हो, तभी तुम्हारी जीत।।
🪴शुभमस्तु!
31.12.2022◆8.15
पतनम मार्तण्डस्य।
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नववर्ष 2023 की हार्दिक शुभकामनाएं।
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