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समांत : इयाँ।
पदांत: अपदान्त।
मात्राभार :26.
मात्रा पतन:शून्य।
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✍️ शब्दकार ©
🌳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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फल-भार से झुकने लगीं आम्रतरु की डालियाँ
कौन जाने गा रहा या दे रहा पिक गालियाँ
ऋतुराज का स्वागत करें सद पवन ये कह रहा
भृङ्ग गुंजन कर रहे हैं आ रही हैं तितलियाँ
रात दिन बेचैन रहती विरहिणी निज सेज में
द्वार पर आ-आ चिढ़ातीं मदभरी मतवालियाँ
देह में लगने लगी है तप्त करती आग-सी
बंध से निर्बंध क्यों हैं कसमसाती चोलियाँ
'शुभम' बूढ़े पीपलों के होठ रोली हो गए
खाल हरियाने लगी है बज उठी हैं तालियाँ
🪴 शुभमस्तु !
४.०४.२०२२◆९.४५ आरोहणं मार्तण्डस्य।
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