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समांत:अस।
पदांत: है।
मात्राभार :16.
मात्रा पतन: शून्य।
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✍️ शब्दकार ©
☘️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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अरिदल की ढीली नस-नस है
जब से हुआ दीन परबस है
बीत रहा है जीवन रूखा
निचुड़ गया जीवन का रस है
चमक-दमक ऊपर से कितनी
मेधा लेकिन ठस की ठस है
चमचे दूध - मलाई खाते
मिलता उनको अविकल जस है
दुनिया त्रस्त मरी मानवता
फैली चारों ओर उमस है
माँग - माँग कर मान चाहते
पूनम को छाई मावस है
🪴 शुभमस्तु !
२५.०४.२०२२◆ ४.१५
पतनम मार्तण्डस्य।
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