शुक्रवार, 29 अप्रैल 2022

सजल 🪷

   

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समांत:अस।

पदांत: है।

मात्राभार :16.

मात्रा पतन: शून्य।

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✍️ शब्दकार ©

☘️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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अरिदल की ढीली नस-नस है

जब से   हुआ   दीन परबस है


बीत   रहा   है   जीवन  रूखा

निचुड़ गया जीवन का  रस है


चमक-दमक ऊपर से कितनी

मेधा लेकिन  ठस  की ठस है


चमचे     दूध - मलाई    खाते

मिलता उनको अविकल जस है


दुनिया   त्रस्त  मरी   मानवता 

फैली   चारों   ओर   उमस  है


माँग  -  माँग  कर मान चाहते

पूनम   को   छाई   मावस   है


🪴 शुभमस्तु !


२५.०४.२०२२◆ ४.१५ 

पतनम मार्तण्डस्य।

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