शुक्रवार, 29 अप्रैल 2022

सजल ☘️


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समांत:आनी।

पदांत: है।

मात्राभार :14.

मात्रा पतन: शून्य।

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✍️ शब्दकार ©

☘️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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जीवन  जटिल    कहानी   है

बात   यही     समझानी    है


दोलन  बन  हिलता     मानव

बात   न   ये     बचकानी   है


धन्ना  धन    की      ढेरी   पर 

अदना      कोई      दानी    है


सुमन    सुगंधों     से    महके 

शूलों    में       शैतानी       है


अंधों    में       काना     राजा 

तनिक     नहीं     हैरानी    है


राम   राज्य   के   भाषण   हैं 

'शुभम'  किंतु    मनमानी   है


🪴 शुभमस्तु !


१८.०४.२०२२◆ ९.१५ आरोहणं मार्तण्डस्य।


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