सोमवार, 14 जुलाई 2025

क्यारी- क्यारी मुकुलित कलियाँ [ गीतिका ]

 341/2025

     

©शब्दकार

डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'


क्यारी - क्यारी   मुकुलित  कलियाँ।

धन्य   हुईं   आच्छादित    छवियाँ।।


सावन  बरस  रहा  नित   रिमझिम,

काष्ठ  उपकरण में  अति   नमियाँ।


लिए बैल-  हल   चले   कृषक दल,

ध्यानमग्न   आश्रम    में    यतियाँ।


उगे    कुकुरमुत्ते      चौखट     पर,

ऐंठी  फूल -  फूल   कर   खटियाँ।


ताल  लबालब    छल - छल करते,

दूध    मिलाते    जल   में   बनियाँ।


झिलमिल- झिलमिल  जुगनू करते,

करें     सहेली     दो    कनबतियाँ।


वर्षाऋतु       ऋतुओं    की   रानी,

'शुभम् ' खोद  खाते  जन   घुइयाँ।


शुभमस्तु!


14.07.2025●2.30आ०मा०

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