341/2025
©शब्दकार
डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
क्यारी - क्यारी मुकुलित कलियाँ।
धन्य हुईं आच्छादित छवियाँ।।
सावन बरस रहा नित रिमझिम,
काष्ठ उपकरण में अति नमियाँ।
लिए बैल- हल चले कृषक दल,
ध्यानमग्न आश्रम में यतियाँ।
उगे कुकुरमुत्ते चौखट पर,
ऐंठी फूल - फूल कर खटियाँ।
ताल लबालब छल - छल करते,
दूध मिलाते जल में बनियाँ।
झिलमिल- झिलमिल जुगनू करते,
करें सहेली दो कनबतियाँ।
वर्षाऋतु ऋतुओं की रानी,
'शुभम् ' खोद खाते जन घुइयाँ।
शुभमस्तु!
14.07.2025●2.30आ०मा०
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