340/2025
समांत : इयाँ
पदांत : अपदांत
मात्राभार : 16
मात्र पतन :शून्य
©शब्दकार
डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
क्यारी - क्यारी मुकुलित कलियाँ।
धन्य हुईं आच्छादित छवियाँ।।
सावन बरस रहा नित रिमझिम।
काष्ठ उपकरण में अति नमियाँ।।
लिए बैल- हल चले कृषक दल।
ध्यानमग्न आश्रम में यतियाँ।।
उगे कुकुरमुत्ते चौखट पर।
ऐंठी फूल - फूल कर खटियाँ।।
ताल लबालब छल - छल करते।
दूध मिलाते जल में बनियाँ।
झिलमिल- झिलमिल जुगनू करते।
करें सहेली दो कनबतियाँ।।
वर्षाऋतु ऋतुओं की रानी।
'शुभम् ' खोद खाते जन घुइयाँ।।
शुभमस्तु!
14.07.2025●2.30आ०मा०
●●●
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें