सोमवार, 14 जुलाई 2025

सावन बरस रहा [ सजल ]

 340/2025

       

समांत         : इयाँ

पदांत          : अपदांत

मात्राभार     : 16

मात्र पतन    :शून्य


©शब्दकार

डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'


क्यारी - क्यारी   मुकुलित  कलियाँ।

धन्य   हुईं   आच्छादित    छवियाँ।।


सावन  बरस  रहा  नित   रिमझिम।

काष्ठ  उपकरण में  अति   नमियाँ।।


लिए बैल-  हल   चले   कृषक दल।

ध्यानमग्न   आश्रम    में    यतियाँ।।


उगे    कुकुरमुत्ते      चौखट     पर।

ऐंठी  फूल -  फूल   कर   खटियाँ।।


ताल  लबालब    छल - छल करते।

दूध    मिलाते    जल   में   बनियाँ।


झिलमिल- झिलमिल  जुगनू करते।

करें     सहेली     दो    कनबतियाँ।।


वर्षाऋतु       ऋतुओं    की   रानी।

'शुभम् ' खोद  खाते  जन   घुइयाँ।।


शुभमस्तु!


14.07.2025●2.30आ०मा०

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