मेरे मन जपहु श्रीराधेश्याम।
सुमिरत कटें क्लेश अघ संकट
तेरौ पावन नाम।
सर्वगति सर्वेश सनातन
रहि मन आठों याम।
जसुदानंदन आनंदनिकन्दन
जपि मन सुबहो शाम।
राधाप्राण राधिका जीवन
राधिकेश प्रभु श्याम।
जन्म -मृत्यु नाशी है कन्हैया
अनुपम दास्य ललाम।
मनवांछित भक्ति कौ दाता
कृष्ण - सारूप्य प्रदान।
मुरलीधर वंशी कौ बजैया
बसहु हृदय मम धाम।
राधमानसपूरक मानस
राधाधन घनश्याम।
शुभम कृष्णकीआस पड़ौ है
करहु बेगि निष्काम।
श्री कृष्णजन्माष्टमी
की
हार्दिक शुभकामनाएं
शुभमस्तु !
रचयिता ©
डॉ. भगवत स्वरूप "शुभम"
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें