श्रीहरि नें औतार लियौ है।
जसुदा जायौ पूत साँवरौ
किशन कन्हैया नाम दयौ है।
नंदबाबा के हिये हूल अति
अँगना में आंनद छयौ है।
ब्रज की गली-गली में चरचा
श्रीविष्णु को रूप नयौ है।
फूले फूल लता लहराईं
जड़चेतन नत प्रणत भयौ है।
ब्रजवनिता नंद द्वारे आवत
हँसि मुस्कावत हर्ष नयौ है।
काननु में बतरावति सिगरी
गुपचुप सबनें जानि लयौ है।
ग्वाल -बाल गैयाँ हरशावत
मैया ऐसौ पूत जन्यौ है।
आधी राति माह भादों कौ
आठें तिथिहरिरूप आयौ है।
"शुभम" वासुदेव औतारी
दुष्ट -दलन औतार लयौ है।
बोलो वंशी वारे की जय ।
जसुदानंदन कान्हा की जय।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
की
हार्दिक शुभकामनाएं
शुभमस्तु !
✍🏼रचयिता ©
डॉ. भगवत स्वरूप "शुभम"
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