बुधवार, 20 मार्च 2019

मैं आया! आया!!आया!!! [गीत]

मच्छर   ने   गीत  सुनाया -
मैं आया! आया!! आया!!!
मौसम  मनमोहक  मादक,
मनभाया    साया    छाया।।

होर्डिंग   बैनर     वर्जित   हैं,
परचे  भी    नहीं     छपाए।
परिजन  चमचे  सँग  लेकर,
हम    खून    चूसने    आए।।
शोभित   नालियाँ     अँधेरा,
मच्छर महिमा  दल-बल से।
कानों     में   गीत   सुनाते,
चूसते नहीं    छल - बल से।
लगता    है   अपना   भैया ,
चरखा  चुनाव  का  लाया।
मच्छर ने गीत ....


धीरे  -   धीरे      गर्मी    भी ,
अनुकूल       हमारे     होगी।
परिवार     बढ़ेगा     अपना ,
और  मलेरिया      के  रोगी।
रैली     अपनी     निकलेगी,
भाड़े   पर  मच्छर    लेकर।
बाइक   न    कार    चलेंगी,
जायें       संदेशा      देकर।।
अपना  तो    धर्म  यही   है,
जिसे  खून  चूसना   आया।
इस धरती  पर  वह  प्राणी,
मच्छर   प्यारा   कहलाया।
मच्छर  ने गीत....


तन  तो    अपना  काला  है,
पर काला   धन   नहीं मेरा।
जो बहता   मानव-  तन में,
वह   लाल  रक्त   है  मेरा ।।
मैं    भारतीय    हूँ    सच्चा,
उड़ता न   यान में    ऊपर।
जाता न कभी मैं स्विस भी,
रहता।   हूँ।   केवल भूपर।
झूठे     भाषण  दे     देकर,
अख़बार  न कभी छपाया।
मच्छर ने गीत .....


मीठे       आश्वासन   देकर,
ठगता न किसी  को मच्छर।
डिग्री  से    रहित   अनाड़ी,
भैंस   सदृश    हर   अच्छर।
दंशन  का    मुझे    भरोसा,
पंखों  की   शक्ति  निरंतर।
बल भरती   रहती   तन में,
यह  मानव -मच्छर अंतर।।
छोटा - सा    पेट   हमारा ,
छोटी -सी   अपनी काया।।
मच्छर ने गीत ..........   ।।

💐शुभमस्तु !
✍रचयिता©
डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किनारे पर खड़ा दरख़्त

मेरे सामने नदी बह रही है, बहते -बहते कुछ कह रही है, कभी कलकल कभी हलचल कभी समतल प्रवाह , कभी सूखी हुई आह, नदी में चल रह...