तुम्हारे संग आज होली हम खेलेंगे।
तुम्हारे नाज़-नख़रे सभी हम
झेलेंगे।।
मुलायम गौर चिकने गाल हैं तुम्हारे।
नागिन से लहराते बाल हैं तुम्हारे।।
आँखों में शर्बत होठों पर लाली।
चितवन तुम्हारी बड़ी ही निराली।।
भाँग भरी गोली भी हम झेलेंगे।
तुम्हारे संग आज ....
रंगों से भरी है मेरी पिचकारी।
छोड़ेगी लम्बी लाल रंग की धारी।।
लगे जो कमर पर कमर झुक जाए।
पनघट पर पनिहारिन देख रुक जाए।।
अंडे भी तुम्हारे हम से लेंगे।।
तुम्हारे संग आज....
मैसम है गुलाबी तन-मन गुलाबी।
मैं तेरा देवर तू मेरी भाबी।।
ऊपर से नीचे तक रंग में डुबाएंगे ।
मादक अदाओं से तुमको लुभाएंगे।।
गुझिया तुम खिला दो हम पापड़ बेलेंगे।
तुम्हारे संग आज ...
रंगों से भरे हैं ये फूले गुब्बारे।
नयनों से झरते हैं रंगों के फुव्वारे।।
लाल हरी चोली भी गीली कुछ बोली।
अँगिया भी चिपक रही हरी लाल नीली।।
गुब्बारे का बदला पिचकारी से ले लेंगे।
तुम्हारे संग आज ....
चंदन अबीर रंग उड़ता गुलाल है।
मन में तरंगों की ताल का सवाल है।।
नृत्यलीन मंडली ढप ढोल मंजीरा है।
होली में फ़ाग गाया जा रहा कबीरा है।
रंगों के साथ 'शुभम' कीचड़ न पेलेंगे।
तुम्हारे संग आज ..........।।
💐 शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
🌹 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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