आज के युग में :
झूठ बराबर तप नहीं,
साँच बराबर पाप।
सत्तासन पावे वही,
सौ झूठों का बाप।।
सौ झूठों का बाप,
झूठ चुन -चुन कर बोले।
मुख का कमल खुले,
झूठ के दागे गोले।।
नेता बनना हो अगर,
गलत कहने भी छूट।
अधिकाधिक बोलो सदा,
झूठ झूठ बस झूठ।।
बहनो और भाइयो ! आप इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि आदमी को समय। के अनुसार चलना चाहिए। पहले के विद्वान लोग इस बात को ठोक ठोक कर कह भी गए हैं कि :
'जैसी बहे बयार तबहिं तैसौ रुख कीजै। ये कल युग है ।
अर्थात आज का काम कल पर टालने का युग। क्या बाबू क्या अधिकारी, क्या नेता क्या सत्ताधारी, क्या प्राइवेट क्या सरकारी , क्या पंचायत क्या दरबारी-सभी कल की कला से निष्णात स्नातक हैं। कुछ लोगों ने तो इसमें परास्नातक क्या पी एच डी की उपाधि हासिल कर रखी है। टेलर मास्टर सिले हुए कपड़े देने का वादा दो चार दिन नहीं, दो चार हफ़्ते तक टाल देता है। कल दे देंगे , कल दे देंगे कल जरूर दे देंगे -कहता हुआ सभी को कल की कला से आभायमान करता रहता है। इसी प्रकार बाबू किसी के भी काबू से बाहर है, कल का वादा करके महीने निकाल देना उसके बाएँ हाथ का खेल है।
देश का नेता देश के जनता जनार्दन की सारी अक्लबन्दी का ठेकेदार अकेला ही है। उसकी मान्यता ये है जितनी अक्ल भगवान ने इस पृथ्वी लोक पर बांटी है , उसका 80 फ़ीसदी हिस्सा तो उसका और उसके पूज्य पिताजी का है ही। बाकी बची 20 फ़ीसदी। उसमें से 10 फ़ीसदी बाबू और अधिकारियों के पास है। बाक़ी 10 फीसदी जनता जनार्दन की है। जिसकी लाठी में दम हो वह उतनी ले लेता है। अक्ल के पीछे लट्ठ लेकर चलने का यह सुनहरा युग है।सो लोग उसके पीछे पीछे लट्ठ लेकर चल पड़े हैं। उनकी तो 80 फ़ीसदी सुरक्षित ही है। जब उसमें झूठ का मक्खन औऱ ग़लत तथ्यों की मिसरी मिश्रित कर दी जाती है , तो जो रसायन तैयार होता है , उसे जनता को बांट दिया जाता है। चूंकि झूठ औऱ ग़लत का प्रसाद केवल आम जनता में वितरित करने के लिए होता है, इसलिए उसको 100 फ़ीसदी सच और ईश्वरीय वाणी मानकर उस पर बिना किसी विरोध, बिना किसी स्पीड ब्रेकर , बिना किसी हिचकिचाहट के सहर्ष शिरोधार्य कर लिया जाता है। कोई जाँच आयोग नहीं बिठाया जाता। अरे भई! क्या देश के इतने बड़े नेता कोई झूठ बोलेंगे? ये मानते हुए जनता उसे हज़म कर जाती है। उनकी नज़र में जनता तो भेड़ ठहरी, नितांत मूर्ख औऱ अज्ञान की पर्याय। धन्य है भई ! झठ हो तो ऐसा कि कोई उँगली तो क्या ज़ुबान नहीं खोल सकता। खोलेगा कैसे , वे खोलने देंगे तब न ! अर्थात पूरी तानाशाही। बोलने की स्वतंत्रता के मानव -अधिकार का शायद संशोधन कर लिया गया होगा। हमारी इच्छा औऱ आदेश के विरुद्ध कोई कुछ भी नहीं बोल सकता। जो कुछ भी बोलेंगे, हम ही बोलेंगे। हमारा हर वचन पत्थर की लकीर है। जानते नहीं राजा ईश्वर का अवतार होता है। जनता ने समर्थन किया । आप बिलकुल सोलहों आने सच फ़रमाते हैं, -राजा ईश्वर का अवतार होता है। इसलिए उसे कुछ भी बोलने का पूरा अधिकार होता है।बहनो और भाइयो ! आप इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि आदमी को समय। के अनुसार चलना चाहिए। पहले के विद्वान लोग इस बात को ठोक ठोक कर कह भी गए हैं कि : 'जैसी बहे बयार तबहिं तैसौ रुख कीजै। ये कल युग है । अर्थात आज का काम कल पर टालने का युग। क्या बाबू क्या अधिकारी, क्या नेता क्या सत्ताधारी, क्या प्राइवेट क्या सरकारी , क्या पंचायत क्या दरबारी-सभी कल की कला से निष्णात स्नातक हैं। कुछ लोगों ने तो इसमें परास्नातक क्या पी एच डी की उपाधि हासिल कर रखी है। टेलर मास्टर सिले हुए कपड़े देने का वादा दो चार दिन नहीं, दो चार हफ़्ते तक टाल देता है। कल दे देंगे , कल दे देंगे कल जरूर दे देंगे -कहता हुआ सभी को कल की कला से आभायमान करता रहता है। इसी प्रकार बाबू किसी के भी काबू से बाहर है, कल का वादा करके महीने निकाल देना उसके बाएँ हाथ का खेल है। देश का नेता देश के जनता जनार्दन की सारी अक्लबन्दी का ठेकेदार अकेला ही है। उसकी मान्यता ये है जितनी अक्ल भगवान ने इस पृथ्वी लोक पर बांटी है , उसका 80 फ़ीसदी हिस्सा तो उसका और उसके पूज्य पिताजी का है ही। बाकी बची 20 फ़ीसदी। उसमें से 10 फ़ीसदी बाबू और अधिकारियों के पास है। बाक़ी 10 फीसदी जनता जनार्दन की है। जिसकी लाठी में दम हो वह उतनी ले लेता है। अक्ल के पीछे लट्ठ लेकर चलने का यह सुनहरा युग है।सो लोग उसके पीछे पीछे लट्ठ लेकर चल पड़े हैं। उनकी तो 80 फ़ीसदी सुरक्षित ही है। जब उसमें झूठ का मक्खन औऱ ग़लत तथ्यों की मिसरी मिश्रित कर दी जाती है , तो जो रसायन तैयार होता है , उसे जनता को बांट दिया जाता है। चूंकि झूठ औऱ ग़लत का प्रसाद केवल आम जनता में वितरित करने के लिए होता है, इसलिए उसको 100 फ़ीसदी सच और ईश्वरीय वाणी मानकर उस पर बिना किसी विरोध, बिना किसी स्पीड ब्रेकर , बिना किसी हिचकिचाहट के सहर्ष शिरोधार्य कर लिया जाता है। कोई जाँच आयोग नहीं बिठाया जाता। अरे भई! क्या देश के इतने बड़े नेता कोई झूठ बोलेंगे? ये मानते हुए जनता उसे हज़म कर जाती है। उनकी नज़र में जनता तो भेड़ ठहरी, नितांत मूर्ख औऱ अज्ञान की पर्याय। धन्य है भई ! झठ हो तो ऐसा कि कोई उँगली तो क्या ज़ुबान नहीं खोल सकता। खोलेगा कैसे , वे खोलने देंगे तब न ! अर्थात पूरी तानाशाही। बोलने की स्वतंत्रता के मानव -अधिकार का शायद संशोधन कर लिया गया होगा। हमारी इच्छा औऱ आदेश के विरुद्ध कोई कुछ भी नहीं बोल सकता। जो कुछ भी बोलेंगे, हम ही बोलेंगे। हमारा हर वचन पत्थर की लकीर है। जानते नहीं राजा ईश्वर का अवतार होता है। जनता ने समर्थन किया । आप बिलकुल सोलहों आने सच फ़रमाते हैं, -राजा ईश्वर का अवतार होता है। इसलिए उसे कुछ भी बोलने का पूरा अधिकार होता है।
💐शुभमस्तु!
✍लेखक ©
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम
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