बदला लेकर ही रहे,
भारत माँ के शूर।।
बारह दिन में ही किया,
दर्प पाक का चूर।।
दर्प पाक का चूर,
विमाँ बारह ही धाए।
ब्रह्म मुहूरत भोर,
शत्रु दोज़ख पहुंचाए।।
नहीं एक दो चार ,
तीन सौ पर था हमला।
अमर शहीदों की तेरहवीं,
नक्शा बदला।।
सघन प्रतीक्षा में खड़ीं,
हूरें कर शृंगार।
कब आवेंगीं रूह वे,
इस ज़न्नत के द्वार।।
इस ज़न्नत के द्वार,
सातवें आसमान में।
हिन्द देश के बम तीरों,
के कमान में।।
बारह दिन से जल रही,
उर -उर आरत अगन।
कब पूरा प्रतिशोध हो,
मिटे प्रतीक्षा सघन।।
हाथ कटोरा चल दिया,
भिक्षा को इमरान।
रह लेंगे भूखे भले,
अणुबम का अरमान।।
अणुबम का अरमान,
भले नंगे तन रहना।
आतंकों की छाँव,
विश्व की ज़िल्लत सहना।।
कर्ज़ा लेकर जी रहा,
लिया चीन का साथ।
चीनी कड़वी हो गई ,
दिया पाक को हाथ को हाथ।।
घूरे में दाबे रखा,
दुम को बारह साल।।
जब मिराज बारह उड़े,
दिखा पाक को काल।।
दिखा पाक को काल,
भेड़िया - सा गुर्राया ।
पुलवामा की एक लपट ,
ने ही झुलसाया।।
लगता है अब पाक के,
हो गए हैं दिन पूरे।
सीधी हुई न पूँछ,
गड़ी बहु भीतर घूरे।।
हो सचेत जागृत रहो,
मेरे भारत देश।
लगा मुखौटे आएगा,
बदल - बदल कर वेश।।
बदल - बदल कर वेश,
प्रवंचक दुश्मन कायर।
घुसकर करता वार ,
कभी आतंकी फायर।।
नहीं पात्र विश्वास का,
न उर में कभी खेद हो।
जागरूक हों सदा,
'शुभम' प्रतिक्षण सचेत हो।
💐शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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