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✍️ शब्दकार ©
🌄 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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हुआ सवेरा ।
मिटा अँधेरा।।
अब हम जागें।
निद्रा त्यागें।।
सुस्ती भागे।
दौड़ें आगे।।
समय न बीते।
तब हम जीते।।
त्वरित नहाना।
पढ़ने जाना।।
भोजन पाना।
ग्रंथ सजाना।।
समय गँवाना।
उचित न माना।।
सीधे जाएँ।
तब घर आएँ।।
गुरुजन पाएँ।
शीश झुकाएँ।।
नमन मात को।
'शुभम' तात को।।
💐 शुभमस्तु !
17.11.2020◆12.30 अपराह्न।
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