गुरुवार, 19 नवंबर 2020

सत्ता जिसके हाथ में [ दोहा ]


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✍️ शब्दकार©

🏕️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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सत्ता   जिसके  हाथ में, कहें न   बेईमान।

देशभक्त उसको कहें,गुण की भारी खान।।


गोरे  को काला करे,करे श्याम को   सेत।

नेता   सत्ताधीन  को, देश कमाऊ  खेत।।


बार-बार अवसर कहाँ,करना जो  कर आज।

सत्ताधारी  के बँधा, सिर पर स्वर्णिम  ताज।।


सत्ता की कुर्सी तले,है सब सुख का साज।

पाँव न धरती पर पड़े,परिजन करते नाज।।


ऐंठ, हेकड़ी  मदभरी, सत्तासन की   तेग।

मंद  कभी  होती  नहीं,चले वायु के  वेग।।


सत्ता  मद  की अंधता,नासे ज्ञान  - विवेक।

सज़दा काबा का करे,मत लालच अतिरेक।


जातिवाद  के रंग में, मानवता को   तोड़।

सत्ताधारी  देश   के, झूठे   से गठजोड़।।


अगड़े पिछड़े कर दिए,ऊँच -नीच का   रोग।

बन विषाणु जन तोड़ता,नेता करते    भोग।।


अंधी  जनता  भेड़  है,  गिरती अंधे     कूप।

तपन नहीं लगती उसे,स्वच्छ आज का भूप


सीने  पर  गोली  लगे,  जो   झंडावरदार।

नेता छिपा कपाट में,पहन गले   में  हार।।


सत्ता से बाहर हुआ,कहलाता मतिमंद।

सत्ता में ही ज्ञान है, कर्म  करे स्वच्छन्द।।


💐 शुभमस्तु !


13.11.2020◆12.30अपराह्न।


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