बुधवार, 4 नवंबर 2020

आई शरद पूर्णिमा [ गीत ]

 

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✍️ शब्दकार ©

🌝 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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शरद -  पूर्णिमा   देखो  आई।

अम्बर -थाल खील भर लाई।।


सूरज   धाया   अस्ताचल  में।

उतर गया है किसी अतल में।

प्राची   में    छा   गई  जुन्हाई।

शरद -  पूर्णिमा  देखो  आई।।


कनक थाल-सा उगा सुधाकर

धीरे -  धीरे  उठा  गगन  पर।।

अँधिआरे   में   रौनक   छाई।

शरद - पूर्णिमा  देखो  आई।।


राकापति   राकेश    एक  हैं।

अरबों   तारे  साथ   नेक हैं।।

सोम बरसता  शशि प्रभुताई।

शरद -  पूर्णिमा देखो  आई।।


खीर सजाकर खुले गगन में।

हितकर होता मानव तन में।।

सेवन सदा  सुबह  सुखदाई।

शरद - पूर्णिमा  देखो आई।।


जन्मी  आज    लक्ष्मी माता।

पूजा कर जो इनको ध्याता।।

धन-देवी   हों  सदा   सहाई।

शरद -  पूर्णिमा  देखो आई।।


राधे  और  श्याम की लीला।

करते रास सुखांत सजीला।।

श्रीगणेश    होता   सुखदाई।

शरद -  पूर्णिमा  देखो आई।।


पार्वती -  शिव   ने जन्माया।

वही षडानन सुत कहलाया।।

यह कुमार - पूर्णिमा  कहाई।

शरद - पूर्णिमा   देखो आई।।


💐

 शुभमस्तु !


29.10.2020 ◆ 2.00अपराह्न।

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