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✍️ शब्दकार ©
🌝 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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शरद - पूर्णिमा देखो आई।
अम्बर -थाल खील भर लाई।।
सूरज धाया अस्ताचल में।
उतर गया है किसी अतल में।
प्राची में छा गई जुन्हाई।
शरद - पूर्णिमा देखो आई।।
कनक थाल-सा उगा सुधाकर
धीरे - धीरे उठा गगन पर।।
अँधिआरे में रौनक छाई।
शरद - पूर्णिमा देखो आई।।
राकापति राकेश एक हैं।
अरबों तारे साथ नेक हैं।।
सोम बरसता शशि प्रभुताई।
शरद - पूर्णिमा देखो आई।।
खीर सजाकर खुले गगन में।
हितकर होता मानव तन में।।
सेवन सदा सुबह सुखदाई।
शरद - पूर्णिमा देखो आई।।
जन्मी आज लक्ष्मी माता।
पूजा कर जो इनको ध्याता।।
धन-देवी हों सदा सहाई।
शरद - पूर्णिमा देखो आई।।
राधे और श्याम की लीला।
करते रास सुखांत सजीला।।
श्रीगणेश होता सुखदाई।
शरद - पूर्णिमा देखो आई।।
पार्वती - शिव ने जन्माया।
वही षडानन सुत कहलाया।।
यह कुमार - पूर्णिमा कहाई।
शरद - पूर्णिमा देखो आई।।
💐
शुभमस्तु !
29.10.2020 ◆ 2.00अपराह्न।
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