गुरुवार, 19 नवंबर 2020

धूप गुनगुनी [ बालगीत ]

 

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✍️ शब्दकार©

☀️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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धूप   गुनगुनी   के  दिन आए।

लगते  हैं   हमको   मनभाए।।


सूरज का जब निकला गोला।

घर से   निकले मुन्नी, भोला।।

बैठ  ओट  में    अति  हर्षाए।

धूप  गुनगुनी के  दिन  आए।।


ढूँढ़   रहे   मुर्गे   निज   दाना।

पिल्ले  खेल   रहे  मस्ताना।।

उछल-कूद  बछड़ों की भाए।

धूप गुनगुनी  के  दिन आए।।


अम्मा  छाछ बिलोती  गाती ।

लवनी थोड़ी   हमें खिलाती।।

दादी  को बस   धूप   सुहाए।

धूप  गुनगुनी के दिन  आए।।


बाबा  बैठे      ओढ़े     कंबल।

मिला  शीत का सुंदर संबल।।

ताजे  जल   से   पिता नहाए।

धूप   गुनगुनी  के दिन आए।।


नहीं  नहाना   हमको   भाता।

सर्दी  का मौसम जब आता।।

मूँगफली औ 'गज़क  सुहाए।

धूप  गुनगुनी  के  दिन आए।।


💐 शुभमस्तु !

17.11.2020 ◆10.30अपराह्न।

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