रविवार, 11 नवंबर 2018

चाची कह चौका घुसें

[दोहे]
1
सेवक से स्वामी बना, स्वामी से भगवान।
झूठ दिखावे में मगन, सियासती इंसान।।
2
हँड़िया बनी जो काठ की, चढ़े न दूजी बार।
ख़ाक हुई एक बार में, कौन नहीं बेजार।।
3
औऱ करे तो ग़लत है, इनकी करनी ठीक।
मूर्ति -विरोधी तब रहे,अब जो कर दी नीक।।
4
सभी लुटेरे चोर ठग, लगा रहे दरबार।
अंधभक्त पीछे चलें,लंबी लगी कतार।।
5
जाति धर्म में बाँटकर, मुख से बोलें राम।
पीछे -पीछे भेड़ हैं,  आगे नेताराम।।
6
ऊँची दीवारें लगा,हृदय बाँटते रोज़।
आग लगा ग़ायब हुए, ढूढ़ें मिले न खोज।।
7
जमालो के वंशज सभी,करते नित्य कमाल।
अग्नि शमन ले दौड़ते, दंगा और बवाल।।
8
सावधान इनसे रहो, चौकीदार महान।
चाची कह चौका घुसें,इनकी ऐसी बान।।
9
मुख में कुछ दिल और कुछ, राजनीति की जान।
कथनी मीठी खांड-सी, करनी जीरा धान।।
10
गऊ माता इस ओर है, बहू माता उस ओर।
एक तराजू में रखें, ये ठग कपटी चोर।।

💐शुभमस्तु !
✍🏼©रचयिता
डॉ. भगवत स्वरूप"शुभम"

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