[बाल गीत]
आओ बच्चो दिये जलाएँ,
अँधियारे को दूर भगाएं।
ज्योतिपर्व दीपावलि आई,
खील खिलौने खुशियाँ लाई।
पूड़ी खीर गुलगुले खाएँ,
आतिशबाजी नहीं कराएँ।।
आओ बच्चो.....
स्वच्छ हुआ घर कोना - कोना,
बीज प्रेम आदर के बोना।
रंगोली से द्वार सजाएँ,
उन पर घी के दीप जलाएँ।।
आओ बच्चो.....
घर बाहर छत और दीवारें ,
दीप जलाओ वन्दनवारें ।
गली - मोहल्ले खुशी मनाएँ,
ज्योति -रश्मि से बच ना पाएँ।।
आओ बच्चो .....
देखो कैसी सजी दीवारें,
ऊपर - नीचे हैं उजियारे।
मावस का तम दूर भगाएँ,
उनके द्वारे दीप जलाएँ।।
आओ बच्चो.....
मम्मी ने नये पहने गहने,
हम तुम नये वस्त्र अब पहनें।
खुशियाँ बाँटें खुशी मनाएँ,
मंगल - गीत ज्योति के गायें।।
आओ बच्चो.....
नहीं भूलना श्रीगणेश को,
विद्यादात्री सरस्वती को।
गणपति - शारद आशीष पाएँ,
उर -अंधियारा आज मिटायें।।
आओ बच्चो...
लक्ष्मी जी का पर्व दिवाली ,
पूजन किया आरती गा ली।
मात-पिता का आशीष पाएँ,
चरण छुएँ नत - नत हो जाएं।।
आओ बच्चो....
शुभमस्तु !
✍© रचयिता
डॉ. भगवत स्वरूप"शुभम"
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