1
चौकीदार सोता रहा, माल ले गए चोर।
'ले गए अरबों ले गए ', मचा देश में शोर।।
2
दाद बुद्धि की दीजिए, बंदिश एक हज़ार।
दो सहस्र का पिंक रंग, काले धन का द्वार।।
3
काला धन-पालक कहे, छिपा विदेशी बैंक-
काला धन सब लाएँगे, ऊँची होगी रैंक।।
4
तीस दिनों में बीस दिन, घूमा दूर विदेश।
काला धन लौटा नहीं, रहा टापता देश।।
5
उन्हें दिखाने के लिए , कर लो मित्रो ढोंग।
मक्खन से गोबर सजा,(चाहे) रहो पोंग के पोंग।।
6
बड़ी -बड़ी बातें करो, रहे ढोल में पोल।
नमक लगा रोटी भखो, चढ़ा रहे बस खोल।।
7
अमरीका से बढ़ हुआ, लगा मूर्ति निज देश।
थोथ प्रदर्शन ही उचित, ये अपना संदेश।।
8
बातों में क्या खर्च है, मारो बढ़-बढ़ डींग।
झूठ आँकड़े पेश कर, रहो चलाते सींग।।
9
अक्लवन्द मुझसे बड़ा, लिया नहीं अवतार।
महारथी मैं झूठ का, भला करें करतार।।
10
अमरीका में ट्रंप नहिं, यहाँ भी रहता ट्रंम्प।
जादू की लकड़ी घुमा, चाहे ऊँची जम्प।।
11
जनता तो बस भेड़ है, जाए अंधे कूप।
"शुभम" इशारा बहुत है,धूप कहो तो धूप।।
💐शुभमस्तु !
✍🏼© रचयिता
डॉ. भगवत स्वरूप"शुभम"
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