1
'दिए' की दीवाली
ज्योति भी निराली
तम दूर हो गया।
2
दिये से दिया जला
हिये से हिया मिला
बस हो गई दीवाली।
3
तम न तुम
हम स भी हम
एकता के सूत्र में।
4
तम के लिए दिया
न कुछ भी लिया
यथानाम तथागुण।
5
दिया ही दिया
इसीलिए जिया
अंधकार नाशी है।
6
छत की मुँडेर पर
झिलमिलाते अँधेरे घर
दीपों की पंक्तियाँ।
7
धुआँ ही धुआँ
इधर खाई उधर कुआँ
प्रदूषण है पटाखों का।
8
कानों को फोड़ता
शांति को तोड़ता
शोर ये पटाखों का।
9
हिल उठी दीवारें
पड़ गईं दरारें
पटाखा विस्फोट से।
10
खील भी बताशे भी
खांड के खिलौने भी
खीर पूड़ी औ'मिठाईयां।
11
कुमकुम धूप अगरबत्ती
मुस्कराती मोमबत्ती
वंदनवार द्वार सजे।
12
श्रीगणेश लक्ष्मीजी पूजन
माँ विद्याविधात्री का अभिनंदन
दिवाली मनभाई है।
13
उलूक लक्ष्मी वाहन है
मूषक गणेश मनभावन
हंस पर माँ शारदा।
14
फूल वंदनवार हैं
सजे सब द्वार हैं
आँगन में रंगोली।
15
गंगा की लहरों में
गाँवों में शहरों में
झिलमिलाए डीप दल।
💐 शुभमस्तु !
✍🏼©रचयिता
डॉ. भगवत स्वरूप "शुभम"
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