●1●
देश के 'लेता' अगर जो, देश हित की ठान लें।
अपने अहं को छोड़कर, कर्तव्य अपना जान लें।
वादे कभी भूलें नहीं,त्याग दें मिथ्या वचन।
छल-छन्द से दूरी रखें,तो बनें सच्चे सुजन।।
●2●
सत्ता की कुर्सी से उतर, 'लेताजी' नीचे आइए।
मात्र मुद्दों के चनों से,मूर्ख मत बनाइए।
आज तो धोखे से पालो, वोट जनता से सभी।
भूल जाना काष्ठ-हाँडी, फिर नहीं चढ़ती कभी।।
●3●
होता भरोसा आपका,पलकों पर बैठाते।
बेमन गले में फूल के,हार न हम पहनाते।
मजबूरी हमारी है यही,मान झूठा जान लो।
जनता के हित में करो,चेतना में ठान लो।
● 4●
गिद्ध 'लेता ' बन गए हैं, योनि का बदलाव है।
मृतक पशु को छोड़कर, नररक्त का ही चाव है।
रात -दिन मच्छर बने,ये लोहू पीते (हैं) मेरा।
पहचान लो 'लेताओं' को,जाल से लगता घिरा।।
●5●
बगबगे वसनों से बाहर, लेकिन भीतर काले।
वादों की (जो)याद दिलाई,पड़ गए मुँह पर ताले।
पाँच वर्ष के बाद लौटकर,याद आ रहे वादे।
" शुभम" जोड़ कर बोल रहे (हैं),मित्रो ! राधे राधे!!
💐शुभमस्तु!
✍🏼©रचयिता
डॉ. भगवत स्वरूप "शुभम"
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