'अम्मा मुझको ठंड लग रही,
आज मुझे मत नहलाना।
हाथ पाँव मुँह धोकर मेरा
विद्यालय में पहुँचाना।'
आज मुझे मत नहलाना।
हाथ पाँव मुँह धोकर मेरा
विद्यालय में पहुँचाना।'
'स्वेटर शर्ट और टाई के
भीतर पता न लग पाये।
पेंट और मोजों के अंदर
नहीं पैर भी दिख पाए।
थोड़ी क्रीम लगा देना तुम
चेहरा मेरा चमकाना।'
'अम्मा मुझको .........
भीतर पता न लग पाये।
पेंट और मोजों के अंदर
नहीं पैर भी दिख पाए।
थोड़ी क्रीम लगा देना तुम
चेहरा मेरा चमकाना।'
'अम्मा मुझको .........
'सर मेडम जब पूछें मुन्ना
तब क्या तुम बतलाओगे।
चोरी पकड़ी जाए तुम्हारी
नज़र झुका शर्माओगे।
पाँच मिनट बस नहा लो थोड़ा
कल संडे है मत नहाना ।'
'अम्मा मुझको ....
तब क्या तुम बतलाओगे।
चोरी पकड़ी जाए तुम्हारी
नज़र झुका शर्माओगे।
पाँच मिनट बस नहा लो थोड़ा
कल संडे है मत नहाना ।'
'अम्मा मुझको ....
'ठंडे पानी से लगती है
मुझको अम्मा ठंड बड़ी ।
देखो बाहर कोहरा कितना
पिल्ले चिड़ियाँ भी सिकुड़ी।'
थोड़ी देर लगेगा ठंडा
फिर तुम गरम - गरम खाना।'
'अम्मा मुझको .....
मुझको अम्मा ठंड बड़ी ।
देखो बाहर कोहरा कितना
पिल्ले चिड़ियाँ भी सिकुड़ी।'
थोड़ी देर लगेगा ठंडा
फिर तुम गरम - गरम खाना।'
'अम्मा मुझको .....
💐शुभमस्तु !
✍🏼©रचयिता
डॉ. भगवत स्वरूप "शुभम"
डॉ. भगवत स्वरूप "शुभम"
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें