सुख के बदले दुःख का आना।
जीवन का दस्तूर पुराना।।
अपनी राहें चलते - चलते,
मंज़िल पर खुद को पहुँचाना।
काँटों के सँग लाख रुकावट,
लक्ष्य-सिद्धि तक मत घबराना।
जितने मुँह हैं उतनी बातें,
ख़ुद को इसमें मत उलझाना।
सुनना सबकी करना मन की,
निज विवेक का 'शुभम' जमाना।।
💐शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
☘ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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