1
बरसाने की राधिका,
नंदगाँव के श्याम।
प्रेम -पगी जोड़ी -जुगल,
प्रेम नित्य अभिराम।।
प्रेम नित्य अभिराम,
रासलीला निधिवन में।
कण - कण राधेश्याम,
खेलते वृंदावन में।।
देख 'शुभम ' ब्रजवासी,
लगते हैं हरसाने।
राधा के सँग श्याम,
नहीं रहते बरसाने।।
2
राधे - राधे गा रही,
हवा मधुर संगीत।
राधा प्यारी बन गईं,
कान्हा की मनमीत।।
कान्हा की मनमीत,
प्रतीक्षा करते - करते।
उर में जागी प्रीत,
तरसते नैना झरते।।
राधा के बिन कृष्ण ,
हो गए आधे - आधे।
साँस - साँस जप रही,
एक ध्वनि राधे - राधे।।
3
वृंदावन के धाम में,
लता कुंज अभिराम।
रास रचायें गोपियाँ,
ब्रज में श्यामा - श्याम।।
ब्रज में श्यामा- श्याम,
प्रयाग आता अघ धोने।
काले तन का रूप,
श्वेत चंदन- सा होने।।
अति पावन ब्रज धूल,
करे सबका अभिनंदन।
साक्षी लीला - रास ,
'शुभम ' सुंदर वृंदावन।।
4
राधे - राधे जो जपे ,
हर्षित हों घनश्याम।
आ जाते हैं आप ही ,
दौड़ कृष्ण सुखधाम।।
दौड़ कृष्ण सुखधाम,
न करते पल की देरी।
प्रातः दोपहर शाम,
भले ही रात अँधेरी।।
लाज बचाने द्रौपदी,
निभाए अपने वादे।
सभी प्रेम से कहो ,
कृष्ण श्री राधे -राधे ।।
5
राधा गोरी गाँव की,
नंदगाँव के श्याम।
गोप - गोपियाँ साथ में,
रास रचें ब्रजधाम।।
रास रचें ब्रजधाम,
अंगना ब्रज की आईं।
छोड़े सब गृहकाज,
छोड़ पनघट को धाईं।।
मुरली जैसे ही बजी,
बहाना करके भोरी।
पहुँची पौरी छोड़ ,
कान्ह की राधा गोरी।।
💐शुभमस्तु!
✍रचयिता ©
🌹 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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