मंगलवार, 4 जून 2019

बरसाने की राधिका[ कुण्डलिया ]

1
बरसाने     की    राधिका,
नंदगाँव      के      श्याम।
प्रेम -पगी   जोड़ी -जुगल,
प्रेम    नित्य    अभिराम।।
प्रेम     नित्य    अभिराम,
रासलीला    निधिवन में।
कण -  कण     राधेश्याम,
खेलते       वृंदावन    में।।
देख  'शुभम '   ब्रजवासी,
लगते     हैं        हरसाने।
राधा    के     सँग  श्याम,
नहीं     रहते     बरसाने।।

2
राधे -  राधे     गा     रही,
हवा      मधुर      संगीत।
राधा   प्यारी   बन    गईं,
कान्हा   की     मनमीत।।
कान्हा     की    मनमीत,
प्रतीक्षा करते  -    करते।
उर    में    जागी    प्रीत,
तरसते   नैना     झरते।।
राधा  के    बिन    कृष्ण ,
हो  गए   आधे -   आधे।
साँस - साँस    जप  रही,
एक   ध्वनि  राधे - राधे।।

3
वृंदावन    के   धाम    में,
लता   कुंज     अभिराम।
रास     रचायें    गोपियाँ,
ब्रज  में  श्यामा - श्याम।।
ब्रज   में  श्यामा- श्याम,
प्रयाग आता अघ धोने।
काले   तन    का   रूप,
श्वेत    चंदन- सा  होने।।
अति   पावन  ब्रज धूल,
 करे  सबका अभिनंदन।
साक्षी      लीला -  रास ,
'शुभम ' सुंदर  वृंदावन।।

4
राधे -  राधे     जो  जपे ,
हर्षित   हों    घनश्याम।
आ जाते    हैं  आप ही ,
दौड़  कृष्ण  सुखधाम।।
दौड़  कृष्ण   सुखधाम,
न करते   पल  की देरी।
प्रातः     दोपहर   शाम,
भले  ही  रात   अँधेरी।।
लाज    बचाने   द्रौपदी,
निभाए  अपने     वादे।
सभी   प्रेम   से    कहो ,
कृष्ण   श्री राधे -राधे ।।

5
राधा    गोरी    गाँव  की,
नंदगाँव     के      श्याम।
गोप -   गोपियाँ साथ में,
रास     रचें    ब्रजधाम।।
रास     रचें      ब्रजधाम,
अंगना   ब्रज की   आईं।
छोड़े    सब     गृहकाज,
छोड़ पनघट   को धाईं।।
मुरली   जैसे   ही  बजी,
बहाना    करके    भोरी।
पहुँची     पौरी      छोड़ ,
कान्ह की   राधा गोरी।।

💐शुभमस्तु!
✍रचयिता ©
🌹 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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