रविवार, 30 जून 2019

ग़ज़ल

मनभाया   मनभाया   है।
तेरा    सुंदर     साया है।।

मेरी   किस्मत  अच्छी  है,
तू   मेरे    घर    आया  है।

झेली  हैं मुश्किल कितनी,
मिली शज़र की  छाया है।

माज़ी  को समझा  किसने,
जुल्मो -सितम जो ढाया है।

रो - रो  कर   रातें    काटीं,
गीत  प्यार    का गाया  है।

ख़ारों में  उलझा अब तक,
फ़ूल   आज  मुस्काया  है।

वक़्त  बदलता   है सबका,
'शुभम' आज कह पाया है।

💐शुभमस्तु!
✍रचयिता ©
डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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