गुरुवार, 13 जून 2019

गर्मी का प्रकोप [बाल गीत]

गर्मी से सब जन अकुलाते।
शीतल छाया को तरसाते।।

सूरज निकला आग बरसती।
भूखी-प्यासी चिड़ियाँ मरती।
माँग रहे  सब   पानी - पानी।
पशु  पक्षी  नर  पौधे प्रानी।।
घबरा  कर  ठंडक  में जाते।
गर्मी से .....

हाँफ  रहा  है  श्वान द्वार पर।
बैठी   गौरेया    फैला    पर।।
भैंसें   लोट   रहीं  तालों   में।
गायें  रंभा   रहीं    शालों में।।
मोर  सघन  अमराई   जाते।
गर्मी से .....

ठंडे   तरबूजे    हम   खाते।
ख़रबूज़े  मीठे     मनभाते।।
खीरा प्यास बुझाता  सारी।
आम   संतरे   मीठे  भारी।।
घर पर  ठंडा  पना  बनाते।
गर्मी से.....

तपता अम्बर  धरती प्यासी।
छाई  चारों   ओर   उदासी।।
कभी धूल   आँधी  भरमार।
कभी-कभी जल की बौछार।
कूलर   पंखे  बहुत   सुहाते।
गर्मी से......

नभ के ऊपर कृषक ताकते।
बरसेगा कब   मेघ   माँगते।।
पानी  का  स्तर  भी  उतरा।
जलाभाव का संकट उभरा।।
बैठे   खटिया  स्वेद   बहाते।
गर्मी से....

💐शुभमस्तु!
✍रचयिता ©
🍃 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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