सोमवार, 31 मई 2021

धरती पर क्यों आया बंदे!🏵️ [ गीत ]

 

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✍️ शब्दकार ©

🪴 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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धरती   पर   क्यों  आया बंदे!

निज   कर्तव्य    निभाना  है ।

शूकर, गर्दभ    ,श्वान   बना है ,

 मनुज    नहीं    रह    पाना है।।


नहीं  भूलना  मात -पिता  को,

जिनने  तुझको  जन्म   दिया।

उस धरती  माँ  को  मत  भूले,

जिसने  अपने   अंक  लिया।।

गुरुजन  देते    ज्ञान  सदा  ही,

मस्तक    उन्हें    झुकाना   है।

धरती  पर   क्यों  आया  बंदे!

निज   कर्तव्य    निभाना  है।।


क्षिति जल पावक गगन वायु से,

निर्मित  होते   तव   तन- मन।

उनका  ऋणी  सदा ही रहना,

दूषित मत करना कन -कन।।

बिना  शुल्क  के  तुझे पालते,

उनका   कर्ज़    चुकाना    है।

धरती   पर  क्यों  आया  बंदे!

निज  कर्तव्य    निभाना   है।।


कर्मों   के  फ़ल  से मिलता है,

किसी जीव   को  मानव तन।

नर - देही  की  लाज  बचाना,

यही धर्म का   शुभ   साधन।।

बिना धर्म पशु, कीट, कीर तू,

सदा   धर्म     अपनाना   है।

धरती   पर   क्यों  आया बंदे!

निज   कर्तव्य   निभाना  है।।


प्रभु कर्ता  ने  जोड़-जोड़ कर,

अंग -  देह का  सृजन  किया।

जो प्राणों  को  तन  में भरता,

तूने   उसका  भजन किया ??

उस अंशी का   अंश  मात्र तू,

आत्मज्ञान   भी    पाना   है।

धरती पर    क्यों   आया बंदे!

निज  कार्यव्य   निभाना  है।।


देश,समाज और परिजन सब,

करते    हैं       तेरा     पोषण।

तुझे   कृतज्ञ  रहना आजीवन,

कभी  नहीं   करना  शोषण।।

प्राणों की भी  आहुति   देकर,

तुझको   देश     बचाना    है।

धरती  पर  क्यों  आया   बंदे!

निज  कर्तव्य   निभाना   है।।


कर्मयोनि    मानव    की  बंदे,

सदा   कर्म   शुभ  ही करना ।

'शुभम'बुरे कर्मों से निशिदिन,

हे मानव ! तू   नित   डरना।।

भोगयोनि है  पशु - पक्षी  की,

पशु न कीट   बन  जाना है।

धरती पर  क्यों  आया  बंदे!

निज   कर्तव्य  निभाना है।।


🪴 शुभमस्तु !


१९.०५.२०२१◆८.४५पतनम मार्तण्डस्य।

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