सोमवार, 31 मई 2021

मेरा देश महान! 🎯 [ दोहा ]


◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆

✍️ शब्दकार ©

🌻 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆

कोरोना  कलि - काल में,चले यास  तूफ़ान।

कफ़न ख़सोटी नर करे,सजी कफ़न दूकान।।


मानव की यह आपदा, दानव को  वरदान।

माँस ,रक्त खा - पी   रहे, मेरा देश महान।।


मानवता की लाश पर, शैया सजा 'सुजान'।

डूब  रहे   हैं  ऐश   में, मेरा  देश   महान।।


बिलख रहे रोते स्वजन,भयाक्रांत श्मशान।

अंधे   बहरे    लूटते,   मेरा  देश    महान।।


चील  गिद्ध  नर वेश में,कोल डिपो की खान।

ब्लैकमेल  शव  को  करें, मेरा देश  महान।।


आँखों  से   नर   भेड़िया,नेता जैसे  कान।

मानव  के   शव प्रिय उसे,मेरा देश  महान।।


मनुज - परीक्षा  की घड़ी,नहीं रहा  पहचान।

जितना    चाहे  लूट  ले,  मेरा देश    महान।।


सभी   मुसीके  में  छिपे,कंडू, कोदों,  धान।

ज़हर - दान अहि कर रहे,मेरा देश महान।।


करदाता  की  जेब पर,डाका सरल सुजान।

बिना  किए  घर भर रहे,मेरा देश   महान।।


दया, शांति ,करुणा  मरी,पैसा ही  भगवान।

जैसे    चाहो    लूट   लो ,मेरा  देश   महान।।


मानवता   मृत   प्राय है,मानव है    अज्ञान।

दानव    भूखा   भेड़िया,  मेरा  देश  महान।।


🪴 शुभमस्तु !


२९.०५.२०२१◆२.३० पतनम मार्तण्डस्य।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किनारे पर खड़ा दरख़्त

मेरे सामने नदी बह रही है, बहते -बहते कुछ कह रही है, कभी कलकल कभी हलचल कभी समतल प्रवाह , कभी सूखी हुई आह, नदी में चल रह...