शनिवार, 1 मई 2021

सरसों फूले खेत में 🌻 [ दोहा - ग़ज़ल]

 

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✍️ शब्दकार©

🌻 डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम'

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असमय पीला  क्यों  पड़ा, मानव तेरा पात।

चिंतन का यह बिंदु है,देता अघ    आघात।।


बुरे  समय   में मौन ही,उत्तम एक    उपाय, 

सोच समझकर बोलना, बस आशा की बात।


उपवन  उजड़ा  देखकर, कलियाँ  हैं बेचैन,

दिन  में  भी  छाई  घनी, कैसी काली   रात!


किसको  हम  आरोप  दें, कौन नहाया  दूध,

भाँग कूप में जब पड़ी,क्या शह है क्या मात!


गेहूँ  के  सँग घुन पिसें, जग जानी ये रीति,

धुआँ उड़े सबको लगे,फैली जगत बिसात।


सोच न दूषित कीजिए,मन में हो शुभ भाव,

भाषा सदा सकार की,रखना सत अवदात।


'शुभम'सभी निरोग हों,सबका हो   कल्याण,

सरसों  फूले  खेत में,विकसे मानव    जात।


🪴 शुभमस्तु !


०१.०५.२०२१◆६.००पतनम  मार्तण्डस्य।

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