बुधवार, 19 मई 2021

तितली 🦋 [ बालगीत ]


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✍️ शब्दकार©

🦋 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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रंग -  बिरंगे      पंखों   वाली।

तितली कितनी भोलीभाली।।


रस  लेती  है  फूल -  फूल से।

कभी न रहती पास  शूल के।।

नहीं   बजाती   है  वह ताली।

तितली कितनी भोलीभाली।।


उड़-उड़  मन  को मोहे लेती।

नहीं किसी को वह दुख देती।

घूम रही नित डाली -  डाली।

तितली कितनी भोलीभाली।।


प्रकृति  का   सौंदर्य  बढ़ाती।

उड़ती बैठ - बैठ उड़ जाती।।

देती  नहीं   किसी  को गाली।

तितली कितनी भोलीभाली।।


अपनी धुन में  फुदक रही है।

बागों में वह   कुदक रही है।।

रेशम  जैसे   पंख   कमाली।

तितली कितनी भोलीभाली।।


तितली  अपने  मन की रानी।

रस  पीकर क्यों  पीवे पानी।।

'शुभम'सदा तितली मतवाली।

तितली कितनी भोलीभाली।।


🪴 शुभमस्तु !


१८.०५.२०२१◆११.४५आरोहणम मार्तण्डस्य।

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