बुधवार, 19 मई 2021

मुसीका 😷 [ बालगीत ]


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✍️ शब्दकार ©

🪴 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'

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जब से मुँह पर लगा मुसीका।

रहता सबको ध्यान  उसीका।


होठों की   मुस्कान   छिपाई।

यह बचाव की अटल दवाई।।

रोग न होता  मीत किसी का।

जब से मुँह पर लगा मुसीका।


कानों की   खूँटी  पर लटका।

नाक और मुँह पर है अटका।।

नर - नारी  का  बना सलीका।

जब से मुँह पर लगा मुसीका।


चोर ,शाह  सब  इसके अंदर।

लगता   मानव   जैसे  बंदर।।

मुखड़ा लगता फीका -फीका।

जब से मुँह पर लगा मुसीका।


छान - छान कर हवा डालता।

थोड़ी - थोड़ी घुटन सालता।।

सब कहते  हैं  उसको  नीका।

जब से मुँह पर लगा मुसीका।


बैलों  से    मानव   में  आया।

विवश हुआ तो मास्क लगाया।

'शुभम'हितैषी बना सभी का।

जब से मुँह पर लगा मुसीका।


🪴 शुभमस्तु !


११.०५.२०२१◆९.४५आरोहणम मार्तण्डस्य।

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