रविवार, 3 जून 2018

त्रेतायुग से नेतायुग तक

 हम सभी बड़े भाग्यशाली हैं , जो 'नेतायुग'  की  स्वच्छ हवा में सांस ले पा रहे हैं। त्रेता युग राम हुए , सीता मैया हुईं औऱ हुए हनुमान।उन्होंने तो मात्र एक कपड़े धोने वाले के आरोप पर सीता जैसी पवित्र माता  का परित्याग कर एक आदर्श पति औऱ एक आदर्श राजा का कर्तव्य निर्वाह किया था।राम पुरुषोत्तम होते हुए भी आरोप वार को सहन नहीं कर पाए।  इसी के द्वापर आ गया। भगवान कृष्ण ने महाभारत के महायुद्ध में जो भूमिका निभाई, उसकी प्रशंसा विश्वविख्यात है। जहां ये सिद्ध कर दिया गया ,कि संख्या बल का कोई महत्व नहीं , महत्व  तो केवल सत्य का है।इसीलिए हमारा सिद्धान्त वाक्य है :'सत्यमेव जयते'।
      द्वापर युग के बाद आया कलयुग , जहाँ कल ही प्रधान हो गया। सभी लोग आज का काम कल पर टालने का अमर वाक्य मिल गया। काम कल पर टलने लगे, इसीलिए ऑफिसों में बाबू लोगों की मस्ती हो गई। सारा काम कल पर टलने लगा। क्या तहसील , क्या कचहरी, क्या कोर्ट , क्या विधान सभा , क्या लोकसभा , क्या स्कूल -कालेज, क्या टीचर , क्या कर्मचारी -- सभी  कल कल  निनाद में मदमस्त हो गए। आज का काम कल पर जाने लगा , कर्मचारी , बाबू, वकील , जज, अधिकारी , मंत्री आदि सभी की कलकल गंगा निनाद  में मस्ती छा गई आज तो आज है न! कह दिया कल आना , कल ले जाना, कल करेंगे। आज मूड नहीं, आज एकाउंटेंट साहब नहीं आए। आज बिजली खराब है। आज चाभी घर भूल आए। आज  हमारे बॉस छुट्टी पर हैं, साइन नहीं हो सकेंगे।इसलिए कल ही आओ । और कल  कभी  न आया है , न आएगा। जब भी जाओगे आज ही खड़ा मिलेगा।
       इसी कलयुग ने एक बेटे को जन्म दिया ,जिसका नाम है नेतायुग। नेता युग की विशेषताएं अगर लिखी जाएं तो आर्यावर्त से  भारत और भारत से इंडिया तक कागज बिछाकर लिखने पर  कागज़ कम पड़ जायेगा पर नेतायुग का बखान पूरा  नहीं हो सकेगा।  जिस प्रकार महा भारत लिखने के लिए श्री गणेश भगवान को लाना पड़ा था और व्यास भगवान ने बोल बोल कर लिखवाया था , उसी प्रकार श्री रोबोट भगवान को आहूत करना पड़ेगा।और सोचने के लिए श्री श्री कम्प्यूटर जी शरण लेनी होगी , क्योंकि पूज्य नेता युग के  परम पूज्य फादर जी कलयुग जी तो कल पर डालकर, टालकर, मुँह में तम्बाकू दबाए हाथ खड़े कर कहेंगे कि अब नहीं कल करेंगे।अब उसमें नेतायुग जी  क्या कर पाएंगे , क्योंकि वे उनके  सुपुत्र हैं , पिताजी कर आदेश को मानना तो पुत्र जी का परम धर्म है। इसलिए इस नेतायुग  की  नेता नगरी में कोई काम  कल ही होगा।

       अब आप उम्मीद लगाए बैठे रहिए कि  कल आये तो  काम हो। पर कल  आये तो ? जो कभी न आया  न आएगा। इसलिए प्योर बहनों  और  भाइयों, लोगो और लुगाइयों,  आज नेता युग है, कलयुग का लायक  सपूत  है , उसे तो अपने  पूजय   पिताजी के पदचिन्हों पर चलना ही पड़ेगा।  और और आज का काम कल पर छोड़ना ही होगा। तभी तो नेतायुग के महाकवि"अधीर " लिख गए हैं :

आज  करे  सो  काल कर,
काल करे सो  अगले  कल।
बाकी जीवन बहुत बड़ा है,
नेतायुग        में       चल।

कलयुग का  बेटा  'नेतायुग,'
उसका सुपूत   है 'लेता युग',
'लेता '   की   पत्नी  से लेगा ,
पुत्र     एक   'अभिनेता युग'।

'अभिनेता युग' अभी गर्भ में,
उसे तो अभिनय   करना है।
इसी तरह  पीढ़ी दर   पीढ़ी,
नई -नई     संतति  बनना है।

" शुभम"अभी तो हम सबको
'नेतायुग'   में      रहना     है।
 चाहो  अपनी खैर -खुशी तो
हाँ जू , हाँ जू     कहना    है।।

 बोलो नेतायुग जी महाराज की जय।

💐शुभमस्तु!
✍🏼 ©डॉ. भगवत स्वरूप "शुभम"

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