गुरुवार, 7 जून 2018

खीर-पूड़ी खाओ

खीर    -    पूड़ी       खाओ ,
सौ      रुपये          चढ़ाओ।।

खोए      का      प्रसाद    हो,
या मोदक  कर  में   साथ हो।

पुण्य     तभी     हो     पायेगा,
जो सौ    का    नोट   चढ़ाएगा।

देवता      कुपित     हो जायेंगे,
जो   पैसा         नहीं   चढ़ाएंगे।

पैसा  न     चढ़ाना    चाहो  'गर,
तो  एक   टिन रिफाइंफ दो भर।

चीनी    मिष्ठान्न     जरूरी    हैं,
क्या   तेरी    प्रभु   से   दूरी है!

चरणामृत  और     पंजीरी   लो,
माथे   पर  रोली    तिलक करो।

कर  में भी  कलावा  बंधवा लो,
पीताम्बर   तन को    पहना दो।

पुण्य   की  जड़  पाताल    हरी,
है  बात   गुप्त   पर खरी -खरी।

कर लो कर लो कुछ दान पुण्य,
यहाँ  पाप नहीं सब पुण्य धन्य।

मैं   कारक   हूँ  तुम  कारण हो,
सब शंका   गिले   निवारण हों।

विश्वास   धर्म    पर   करना है,
शक  लेकर क्यों  जी मरना है!

ये  गुप्त   काम   सब परदे के,
ऊपर  के सब सुख भरने   के।

कहना  मत हमने  क्या किया,
ये वह दीपक जो   स्वर्ग दिया।

जो  ढोंग    इसे    बतलाते हैं,
वे   खुद  ढोंगी     कहलाते हैं।

पढ़े -लिखों   से    बच  रहना ,
उनकी  बस   हाँ हाँ    कहना।

वे  क्या समझें क्या  पुण्यधर्म,
ये ही तो "शुभम"का सत्यकर्म।

💐शुभमस्तु!
✍🏼©डॉ. भगवत स्वरूप"शुभम"

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