जीवन एक वसन बुनाना है,
साँसों का ताना-बाना है।
एक आती है एक जाती है,
एक चक्र पूर्ण कर जाती है।
कण -कण में आते प्राण नए,
रूठे कण पाते त्राण नए।
रीते को फिर भर जाना है,
मुरझाए को खिल जाना है।
जीवन एक वसन बुनाना है,
साँसों का ताना -बाना है।
हर पल जीवन एक आशा है,
यह जीवन की परिभाषा है।
क्षण -क्षण की नई कहानी है,
बहती सरिता का पानी है।
सागर से मिलने जाना है,
फिर लौट धरा पर आना है।
जीवन एक वसन बुनाना है,
साँसों का ताना -बाना है।
एक रहट की बाल्टी भरती है,
ऊपर जा पानी ढलती है।
रीतापन फिर भर जाता है,
अनवरत प्रवाह कर जाता है।
यों ही जीवन को गुनना है,
अपना पथ आप ही चुनना है।
जीवन एक वसन बुनाना है,
साँसों का ताना -बाना है।
हर शब्द नियमतः जोड़ -जोड़,
अपनी त्रुटियों को तोड़ -मोड़।
लिखनी है नवल कथा अपनी,
सम्भव हो सुंदरतम जितनी।
नायक निज को बन जाना है,
शत-शत दस्तूर निभाना है।
जीवन एक वसन पुराना है,
साँसों का ताना-बाना है।
जीवन अनंत इच्छाएँ हैं,
घड़ियां पल गिने गिनाए हैं।
निज कर्मों के वश आना हैं,
क्यों माया में भरमाना है?
खाली कर जग से जाना है,
फिर बांध मुठी आ जाना है।
जीवन एक वसन बुनाना है,
साँसों का ताना-बाना है।
तू ऐंठ दिखाता है किसकी,
जिसका तू स्वामि नहीं उसकी!
अगले पल की भी खबर नहीं,
ये बात युगों से सभी कही।
पल भर में क्या हो जाना है,
इससे नितांत अनजाना है।
जीवन एक वसन बुनाना है,
साँसों का ताना -बाना है।
सौ साल की गठरी बांधी तू ,
अपनी हर सीमा लांघी तू।
निज अहंकार का दास बना ,
कुछ तो सेवा कर आश बना।
कर मलते ही रह जायेगा,
झोंका ज्यों वायु बह जाएगा।
इंसां को नहीं सताना है,
सत "शुभम"राह ही जाना है।
जीवन एक वसन बुनाना है,
साँसों का आना - जाना है।
💐शुभमस्तु!
✍🏼 ©डॉ.भगवत स्वरूप "शुभम"
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