बकरे को कूकर बना रहा है टी वी
सत्य को असत्य बना रहा है टी वी
मोहासक्त यूँ ही नहीं बिका हुआ है ज़मीर
कहलवाया जो रहा है वही बता रहा है टी वी।
लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ अशक्त बड़ा,
तीन खम्भों को दुर्बल बना रहा है टी वी।
असलियत अब टी वी पर दिख नहीं पाती,
घासलेट को ही घृत बता रहा है टी वी ।
टी वी अब किसी सचाई का दूत नहीं है
झूठी -झूठी खबरें सुना रहा है टी वी।
पाँच सौ का बकरा अब दो सौ का कुत्ता है,
गदहों को भी गाय बना रहा है टी वी ।
आँकड़े कल्पित ही दिखाए जाते हैं,
झूठी बयानबाजी गाता जा रहा है टी वी ।
तिकड़में ही तिकड़में अब भिड़ाई जाती हैं,
झूठे एक्जिट पोलों से पुलपुला रहा है टी वी।
गंगा नहा के गदहे भी बना दिए गायें,
"शुभम" नए कारनामे बना रहा है टी वी।
💐शुभमस्तु!
✍🏼रचयिता ©
डॉ. भगवत स्वरूप "शुभम'
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