शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2020

सुत वसंत आया [ अतुकान्तिका ]


★★★★★★★★★★★★
✍ शब्दकार ©
🌹 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
★★★★★★★★★★★★
कामदेव - रति के
घर जाया
प्रकृति के आँगन 
वातावरण सुहाया,
मनभाया ,
सुत वसंत 
है आया।

स्वागत  हित
जड़ -चेतन सारे,
बूढ़े जर्जर 
पीले पल्लव में
अविरत पतझर,
नव कोंपल 
पुष्पित कलियाँ,
किसलय 
वन -उपवन की
वीथी ,गलियाँ,
करतीं रंगरलियाँ।

पल्लव -दल निर्मित
पालना,
वसन सुमनों के ,
लोरी सुना रही भ्रमरी,
कोयल की 
मधु मादक स्वर लहरी,
गेंदा ,डहेलिया,
गुलदाउदी ,गुलाब,
सुमन सरसों के,
आमों के बौर ,
झुंड भ्रमरों के
गुन -गुन गाते
संगीत मधुर।

सद -सुगंध फैलाते
मद में भर -भर जाते,
डाल -डाल पर सुमन,
सभी अति प्रमन, 
नमन ,वंदन,
अभिनंदन में लगन।

नाच उठा कचनार,
बैंजनी फूलों की 
 झोली भर -भर,
 नर्तित खेतों में
सरसों अरहर,
मतवाला चना 
हिलाकर शीश,
दे रहे सब 
 सुत वसंत  को
शुभ -आशीष।

रंग -बिरंगी
पहन शाटिका
तितली मतवाली ,
झूमे डाली -डाली,
काम का वेग 
थामने,
बहाना होली का ,
रंग रोली का,
फाग कबीरा गाए,
रंग  खूब बरसाए,
गुलाल , अबीर 
ललाट पर 
अम्बर में छाए,
चंदन शीतलता लाए,
भाभी -देवर सँग
 गुपचुप बतलाए,
रतिपति की महिमा के
शृंगार सजाए।

'शुभम' प्रतीक्षा
प्रियतम की करती
विरहिन 
कैसे इतराए?
बल -बल खाए,
सजनी -साजन 
तन -मन के 
एकांत सजाए,
रति -कामदेव -घर
वसंत सुत आए।

💐 शुभमस्तु !

 20.02.2020■6.15 अप.

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