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✍ शब्दकार©
🌾 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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जाने कैसी ज़ुबान है उनकी ?
क़त्ल करना ही शान है उनकी।।
मुँह में पैगामे - मोहब्बत है मगर,
हाथ में इक कृपान है उनकी।
हमने पत्थर में देवता देखे ,
शान पत्थर - फिकान है उनकी।
वो जो हैवां है कि मरता ही नहीं,
किसी पिंजरे में जान है उनकी।
लुत्फ़ बस्ती जलाने में आता है,
आग पहचान - शान है उनकी।
दूध माँ का हराम करता है,
कैसी अमनो - अमान है उनकी ?
मातृ - भूमि के सँग दग़ा ही 'शुभम' ,
ऐसा लगता कि शान है उनकी।
💐शुभमस्तु !
28.02.2020 ◆4.45अप.
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