शनिवार, 29 फ़रवरी 2020

ग़ज़ल


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✍ शब्दकार ©
🌿 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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इरादे      तुम्हारे    ये   अच्छे  नहीं हैं।
हम       दूध    पीते  वो  बच्चे नहीं हैं।

जुबाँ      में   जहर और हाथों में पत्थर,
जिस्म इंसाँ के में  किन्तु सच्चे नहीं हैं।

ग़ज़बजाते     जेहन   में   कीड़े तुम्हारे,
इतने      भी  हम  फूल   कच्चे नहीं हैं।

बबूलों   पै   खिलेंगे  कहाँ  गुल गुलाबी,
हम     काँच   के    गोली - कंचे नहीं हैं।

'शुभम'  तुम खुदा  की इबादत नहीं हो ,
बाप  हैं   हम    तुम्हारे   चच्चे नहीं हैं।।

💐 शुभमस्तु !

28.02.2020 ◆6.50अप.

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