शनिवार, 29 फ़रवरी 2020

बैं नी आ ह पी ना ला [ लघुलेख ]


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 ✍लेखक © 🪂 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम
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            बैं नी आ ह पी ना ला आकाश में प्रकट होने वाले इंद्रधनुष का एक संकेत- सूत्र है। जिसका पूर्ण रूप क्रम इस प्रकार है : बैंगनी ,नीला, आसमानी ,हरा ,पीला, नारंगी और लाल। पानी के सूक्ष्म कणों पर पड़ने वाली सूर्य की किरणों का विक्षेपण (फैलाव) ही इंद्रधनुष का कारण है। इसमें सूर्य की किरणें वर्षा की बूँदों से अपवर्तित तथा परावर्तित होती हैं।यह हमारी पीठ के पीछे सूर्य के होने पर ही दिखाई देता है। यह चाप के आकार का होता है। इसे मेघधनुष के नाम से भी जाना जाता है। यह प्राकृतिक सुंदर घटना बरसात के दिनों में वर्षा होने के बाद देखी जा सकती है।इंद्रधनुष के रंगों का ऊपर बताया गया एक सुनिश्चित क्रम होता है। जिस रंग का तरंग दैर्ध्य जितना बड़ा होता है , वह उतना ही अधिक प्रकाशवान और आकर्षक लगता है। लाल रंग का तरंग दैर्ध्य सबसे अधिक 6.5×10 सेमी.तथा बैंजनी रंग का सबसे कम 4.5×10सेमी. होता है।

         यह तो हुई इंद्र धनुष के रंगों की बात । ये सात प्रमुख रंग हैं। इनके विभिन्न अनुपात में मिश्रण से हजारों रंग बनाये गए हैं। हमारा विशाल सूर्य ही इन रंगों का कारण है। यदि किसी प्रिज्म से प्रकाश की श्वेत किरणों को गुजारा जाता है तो प्रकाश नहीं सात रंगों में इसी क्रम से विश्लेषित हो जाता है।इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि प्रकाश इन्हीं सात रंगों से निर्मित हुआ है। 

            रंगों का हमारे जीवन में विशेष महत्व है। सामाजिक , धार्मिक और आध्यात्मिक सभी दृष्टियों से रंग हमारे जीवन में विशेष भूमिका अदा करते हैं। प्रत्येक रंग की अपनी विशेषता है।कुछ प्रमुख बातों को यहाँ पर बता देना आवश्यक होगा।

               हमारे व्यक्तित्व को रंग विशेष रूप से प्रभावित करते हैं। लाल रंग एक ओर प्रेम का रंग माना जाता है ,उसके विपरीत यह खतरे का भी संकेतक रंग है। इसीलिए तो दुल्हन के वस्त्र , बिंदी आदि लाल ही बनाये जाते हैं। यह प्रेम का प्रतीक जो है।उसकी महावर लिपस्टिक, चूड़ियों आदि में भी इसका ध्यान रखा जाता है।हमारे रक्त का रंग भी लाल है। यह व्यक्ति विशेष के गर्म अर्थात क्रोधित रूप का भी निदर्शक है। हरा रंग शांति का रंग है। प्रकृति में पत्तियों की हरीतिमा देखकर हमारे नेत्रों को शांति प्राप्त होती है। इसीलिए प्रकृति ने पेड़ -पौधों की अधिकांश पत्तियां हरे रंग की ही बनाई हैं।इससे हमें सुखानुभूति होती है। यह नेत्रों को चुभता नहीं है। हमारे तिरंगे ध्वज में इसे इसी भाव से नीचे स्थान दिया गया है। सफेद रंग निर्मलता औऱ शांति का अनुभव कराता है।

                केसरिया त्याग और बलिदान का प्रतीक है। राष्ट्र ध्वज में सबसे ऊपर यही रंग विराजमान है , क्योंकि देश की आज़ादी हमें बड़े त्याग औऱ बलिदान के बाद मिली है। बौद्ध भिक्षु ,सन्यासी तथा बहुत से संत स्त्री पुरूष केसरिया रंग के चीवर या वस्त्र धारण करते हैं। नीला और आसमानी रंग व्यापकता के प्रतीक हैं। बैंगनी रंग बच्चों को अधिक पसंद होता है , यह अनुभवहीनता और अपरिपक्वता का प्रतीक है।काला रंग अशुभता , अंधकार और अज्ञान का है। हमारे यहाँ कानून को अंधा माना गया है। तभी तो कानून की देवी को उसकी आँखों पर काली पट्टी बांधकर दिखाया जाता है , और तो औऱ अधिवक्ताओं औंर न्यायाधीशों को कोट आदि काले ही पहनाए जाते हैं।पीला रंग ज्ञान का प्रतीक है। चीवर का रंग भी पीला ही रखने के मूल में यही कारण है। इस प्रकार रंगों का एक विशेष विज्ञान है। जो सर्वांगीण रूप से हमारे व्यक्तित्व को प्रभावित करता है।   
           रंग - रंग की दुनिया है। एक दुनिया होली की भी है। जिसमें हमारे देश में विविध प्रकार के रंगों से होली खेली जाती है। इसमें बच्चे , वृद्ध , जवान , नर -नारी बड़ी उमंग और प्रेम से खेलते हैं। यह अलग बात है कि युग के अनुरूप होली खेलने के ढंग बदलते जा रहे हैं।रासायनिक रंगों ने रंग में भंग ही कर दिया है। वरना वह भी एक समय था, जब पलाश आदि के फूलों से रंग तैयार करके होली खेली जाती थी। आज तो जहरीले पेंट और कालिख से भी लोग चेहरे विकृत करते देखे जाते हैं। युग -युग में मानव -चरित्र भी बदलता है। जैसा जिसका चरित्र वैसा ही उसका चित्र। वैसी उसकी होली। वैसी ही उसकी बोली। 

         अपने चरित्र की पहचान करनी हो तो अपने पसंद के रंगों की गहराई में उतरिये । ध्यानावस्था में अपनी त्रिकुटी में अपने चरित्र के चित्रों का नज़ारा आप स्वयं देख सकते हैं। उन्हीं सात रंगों में से जो पहले और प्रमुखता से दिखे वही आपके चरित्र का चित्र है। आप उससे बच नहीं सकते। वहाँ भी रंगों का एक अपना संसार है। 💐 शुभमस्तु !
 29.02.2020 ◆7.35 पूर्वाह्न।

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