सोमवार, 10 फ़रवरी 2020

ऋतु वसंत की फिर से आई [ बालगीत ]


★★★★★★★★★★★
✍रचयिता ©
🌻 डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम'
★★★★★★★★★★★

ऋतु वसंत  की फिर से आई।
कली- कली हर्षित मुस्काई।।

सेमल ,  बरगद फूले -  फूले।
कचनारों   पर   भौंरे   झूले।।
अमुआ   की  डाली   बौराई।
ऋतु वसंत की फिर से आई।।

भीनी  - भीनी महक लुटाती।
खेतों में सरसों   छा  जाती।।
पीली   -  पीली   छटा सुहाई।
ऋतु   वसंत की फिर से आई।।

पीली     चादर  ओढ़  खड़े हैं।
कीकर   पादप बड़े -  बड़े हैं।।
मधुमक्खी  उन पर मंडराई।
ऋतु   वसंत की फिर से आई।।

क्यारी में   गुलाब   मुस्काता।
गेंदा   झूम - झूम    इठलाता।।
भौंरों     की     टोली   गुंजाई।
ऋतु    वसंत की फिर से आई।।

गेहूँ , चना , मटर , जौ मनहर।
झूम  उठे   खेतों   में   सुंदर।।
हवा       बही   बाली  लहराई।
ऋतु वसंत की फिर से आई।।

रह - रह   अरहर   झूम रही है।
तितली  मधुरस  चूम रही है।।
'शुभम' सरसता जन-जन भाई ।
ऋतु   वसंत की फिर से आई।।

💐शुभमस्तु !

09.02.2020◆4.30 अप.

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