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✍ शब्दकार ©
🌿 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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मैं देवर तुम भाभी मोरी।
तुम सँग खेलिंगे हम होरी।।
हमनें भरी रंग पिचकारी।
देंगे भिगो तुम्हारी सारी।।
भौत नाय तौ थोरी - थोरी।
तुम सँग खेलिंगे हम होरी।।
भीतर ते बाहिर कूँ आऔ।
चंदन औरु गुलाल लगाऔ।।
माथे मलौ हमारे रोरी।
तुम सँग खेलिंगे हम होरी।।
कीचड़ - माटी नाहिं लगाएं।
भरि गुब्बारे नाहिं चलाएं।।
नाहिं करिंगे जोराजोरी।
तुम सँग खेलिंगे हम होरी।।
एक साल में होरी आई।
खेलि रहे सिग लोग -लुगाई।।
नाहिं खेलिबौ होरी चोरी।
तुम सँग खेलिंगे हम होरी।।
कान्हा नें राधा सँग खेली।
जिनके सँग में निरी सहेली।।
देवर - ननदी छोरा - छोरी।
तुम सँग खेलिंगे हम होरी।।
💐शुभमस्तु !
28.02.2020 ◆5.45पूर्वाह्न
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