ज्ञानदायिनि वीणावादिनि सरस्वती माँ शारदे ।
अज्ञान उर का दूर कर माँ संसार
से हमें तार दे।।
तम से ग्रसित मानव के मन को
कर प्रकाशित उद्धार कर।
पथभृष्ट मानव हो रहा है उसको
दिखा मारग सुकर।।
सुंदर चरित धारण करें निर्भय
जियें जीवन सभी।
सत्कर्म में तल्लीन हों ईर्ष्या रहित
हों हम सभी।।
यह विश्व इक परिवार सम
दे सुमति माता शारदे।
कंटकों को पार कर हम आगे बढ़ें
माँ तार दे।।
जय जय माँ सरस्वती की जय हो
-डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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