इस देश में क्या हो रहा सब जानते हैं ,
कौन कांटे बो रहा सब जानते हैं।
आम किससे क्या कहे चुसना है उसको,
नेता चूसे जा रहे हैं सब जानते हैं।
आम का रस भा रहा नेता गणों को,
बदले तरीके जा रहे हैं सब जानते हैं।
सच कहे उसकी जुबाँ कर बंद देते,
वेश से ठग पा रहे हैं सब जानते हैं।
काले अंग्रेजों की गुलामी का जमाना,
पढ़े लिखे पछता रहे हैं सब जानते हैं।
नेता बनने के लिए डिग्री न कोई,
विद्वान भी शर्मा रहे सब जानते हैं।
झूठ ,लफ़्फ़ाजी, खोखले वादे के रस्ते,
देश लूटे जा रहे हैं सब जानते हैं।
आँकड़े झूठे बनाकर पेश करते,
अखबार छापे जा रहे सब जानते हैं।
टीवी चैनल बिक गए पैसों की खातिर,
झूठ बकते जा रहे सब जानते हैं।
टैक्स की भर मार से कराहा आदमी हर,
गीध नोंचे खा रहे सब जानते हैं।
ऊँट के मुँह में गिराया जीरा चुटकी,
वे काजू पिस्ता खा रहे सब जानते हैं।
मुफ़्त यात्रा , मुफ्त भोजन ,मुफ़्त सब कुछ,
पेंशन भी खाए जा रहे सब जानते हैं।
सात पीढ़ी का अभी इंतज़ाम करते,
हम सताए जा रहे सब जानते हैं।
नौकरीपेशा की खालों के जूते पहनकर वे,
इतराए चलते जा रहे सब जानते हैं।
योग्यता से शून्य हो तो नेता बनो जी,
"शुभम" बताए जा रहे सब जानते हैं।।
💐 शुभमस्तु !
✍🏼रचयिता ©
डॉ. भगवत स्वरूप "शुभम"
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