जी हुजूरी हाँ में हाँ कह बहुत ही आसान है,
सच के मुँह जो बंद करता बहुत ही नादान है।
अंधे भक्तों की कतारें कर लिए परचम खड़ीं,
दे के रिश्वत कहलवाना बहुत ही आसान है।
काला धन लाने के वादे सब हवा में उड़ गए,
गिद्ध जो हो फुर्र गए हैं क्या लौटना आसान है?
साँप बिल में घुस गए वे जो पालतू प्रिय थे सभी,
उनकी लकीरें पीटना अब और भी आसान है।
अपनी करनी देखना क्यों इतिहास पर कीचड़ मलो,
उँगली करना उस तरफ अब और भी आसान है।
नींव के पत्थर बिना मंज़िल कोई बनती नहीं,
मंजिलों पर ईंट रखना बहुत ही आसान है।
झाँक कर अपना गरेबाँ आज तक देखा नहीं,
छेद में हम्माम के तेरा देखना आसान है।
नादान अंधे भक्तगण पर तरस मुझको आ रहा,
पट्टी बांधे चक्षुओं पर चहकना आसान है।
जाति ,झण्डे , धर्म की कैसी सियासत देश की?
पालतू कुछ अनुगामियों का बहकना आसान है।
भेड़ के रेवड़ में पीछे कूप में जाती सभी,
भेड़तंत्रों में "शुभम" क्या समझाना भी आसान है?
💐शुभमस्तु !
✍🏼रचियता ©
डॉ. भगवत स्वरूप " शुभम"
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