सोमवार, 11 नवंबर 2019

शिशिरागमन [अतुकान्तिका ]

          

कार्तिक की पूर्णिमा
पूर्णता शरद की,
अगहन का आगमन
शिशिर का
पहला चरण,
आर्द्रतामय वातावरण,
धूपाभिषेक की शरण।

शीत ऋतु का
द्वितीय चरण ,
शनैः शनैः 
उष्णता का हरण,
कर रहे 
दूल्हा -दुल्हन
परस्पर  वरण,
निशा की दीर्घता का
आचरण।

बदल रहे
तन के आवरण
शीत अवरोध में 
व्यस्त जन -जन,
 ऊर्ण के
 कृत्रिम वसन,
ढँकते 
सबका तन,
अमीर गरीब की
सामर्थ्य का क्षण।

कभी कोहरा
बरसता तुहिन,
ओस से लदा
दूब का 
द्रुम लताओं का 
पल्लव -पल्लव।
रबी में
उगते गोधूम 
चणक यव 
विविध अन्न,
आ चुका
 घर में
परिपक्व धान्य।

ठिठुरते 
शीत से
जन -जन
पशु -धन,
पखेरु -गण,
निकल कर 
नीड़ से
करते हैं
धूप -सेवन,
शीत ऋतु में
प्रकृति का 
प्रसन्न कण -कण
'शुभम 'प्रतिक्षण।

💐 शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
🔆 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम

06.11.2019 ◆8.15 अपराह्न।

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