कार्तिक की पूर्णिमा
पूर्णता शरद की,
अगहन का आगमन
शिशिर का
पहला चरण,
आर्द्रतामय वातावरण,
धूपाभिषेक की शरण।
शीत ऋतु का
द्वितीय चरण ,
शनैः शनैः
उष्णता का हरण,
कर रहे
दूल्हा -दुल्हन
परस्पर वरण,
निशा की दीर्घता का
आचरण।
बदल रहे
तन के आवरण
शीत अवरोध में
व्यस्त जन -जन,
ऊर्ण के
कृत्रिम वसन,
ढँकते
सबका तन,
अमीर गरीब की
सामर्थ्य का क्षण।
कभी कोहरा
बरसता तुहिन,
ओस से लदा
दूब का
द्रुम लताओं का
पल्लव -पल्लव।
रबी में
उगते गोधूम
चणक यव
विविध अन्न,
आ चुका
घर में
परिपक्व धान्य।
ठिठुरते
शीत से
जन -जन
पशु -धन,
पखेरु -गण,
निकल कर
नीड़ से
करते हैं
धूप -सेवन,
शीत ऋतु में
प्रकृति का
प्रसन्न कण -कण
'शुभम 'प्रतिक्षण।
💐 शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
🔆 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम
06.11.2019 ◆8.15 अपराह्न।
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