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आजु चलौ वृषभान लली,
जमुना तट पै मिलें श्याम हमारे।
धेनु चरावत बंशी बजावत,
हँसि बतरावत कान्ह हमारे।।
खात लुटावत दधि माखन कूँ,
जौ मिलि जावहिं प्रान हमारे।
धन्य तौ होय 'शुभम' मम जीव,
जिनगी भई छार श्याम बिना रे।।1।।
बंशी बजी ब्रजनारि सजी,
जोहत बाट खड़े नंदलाला।
शाल दुशाल हु धारि चली,
दौरत गैल में जू ब्रजबाला।।
सासु कूँ बात बताई नहीं,
पग साधि चली मग में मधुबाला ।
हाँफति - हाँफति जाइ रही,
संग रास रचावत है नंद लाला।।2।।
बासन माँजत टेर सुनी,
धोए बिनु हाथनु दौरि चली।
एक डोल औ' डोरि तजी कुअटा,
एक झाड़ु बुहारति गोरी चली।।
एक फेरत छाछ चली तजि कें,
एक दूध दुहावति छोरी चली।
रास की आस में गोपी 'शुभम',
पग धूरि उड़ावति भोरी चली।।3।।
घनश्याम खड़े मग रोकि रहे,
मति जाउ दही बेचन गोरी।
अपने घर में सिग खाउ दही,
पय छाछ पीऔ ब्रज की भोरी।।
तुमकों समझावत हैं कितनों,
समझौ समझौ बतियाँ मोरी।
दधि खाउ तौ अंग लगै तुम्हरे,
चल खेलेंगे बागन में होरी।।4।
आजु जाय जसोदा सों बात करें,
पथ रोकत है तुम्हरो लाला।
गोरस खात लुटात सबै,
अति रोस भरी ब्रज की बाला।।
झट पेड़ पे जाइ चढ़े कान्हा,
सँग लेइ बुलाइ सबै ग्वाला।
कर जोरि शिकायत गोपि करें,
बड़ौ ढीठ भयौ जू नन्द लाला।।5।।
💐 शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
🦚 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
24.11.2019◆8.35 अपराह्न।
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