बुधवार, 27 नवंबर 2019

कुकड़ कूँ गाता [बाल गीत ]


  ♾★★♾★★♾★★
सुबह    हुई तो  बाँग लगाता।
मुर्गा  गीत  कुकड़ कूँ गाता।।

कहता   हमसे  जागो  प्यारे।
आलस   छोड़ो सुबह सकारे।।
अपने    साथ प्रभाती  लाता।
मुर्गा  गीत  कुकड़ कूँ गाता।।

कलगी लाल  शीश पर डोले।
मस्त चाल चलकर नित बोले।
उसका  गाना   हमें    सुहाता।
मुर्गा गीत  कुकड़  कूँ  गाता।।

मुर्गी कहती  'क्यों उठ जाते ।
इतनी  जल्दी  हमें  जगाते।।'
मन  ही मन  मुर्गा  मुस्काता।
मुर्गा गीत  कुकड़  कूँ गाता।।

'ब्रह्म   मुहूरत   में  जो  जागें।
अपने आप   बुरे दिन भागें।।'
मुर्गी   को  मुर्गा   समझाता।
मुर्गा  गीत कुकड़  कूँ गाता।।

'तुम जाओ  दो  अपने  अंडे।
दिन  हो   कोई   संडे   मंडे।।
मुझे  ज्ञान  नहिं  तेरा  भाता।'
मुर्गा गीत कुकड़  कूँ  गाता।।

💐 शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
⛲ डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम'

23.11.2019◆7.50 अपराह्न।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किनारे पर खड़ा दरख़्त

मेरे सामने नदी बह रही है, बहते -बहते कुछ कह रही है, कभी कलकल कभी हलचल कभी समतल प्रवाह , कभी सूखी हुई आह, नदी में चल रह...