शनिवार, 2 नवंबर 2019

मम्मी मुझे न बनना नेता [ बालगीत ]


 ♾★★♾★★♾★★ 

 मम्मी  मुझे  न  बनना  नेता। 
अब    का नेता भी क्या देता।।

पढ़ - लिखकर मैं नाम कमाऊं।
नित   विद्यालय प ढ़ने जाऊँ।।
विद्यालय   तम को  हर  लेता।.
 मम्मी   मुझे   न   बनना  नेता।।

बिना    पढ़े  भी   नेता   होते।
बीज   ज़हर  के  जन में बोते।।
भरते    वह   आँखों  में  रेता। 
मम्मी  मुझे   न बनना  नेता।।

ऊपर    बगला   भीतर  कौवा।
मानव -  तन  में काला हौआ।।
घड़ियाली       आँसू   रो  देता।
मम्मी    मुझे न  बनना  नेता।।

नेता     क्या    सेवा   करते  हैं?
सीमा     पर   सैनिक  मरते हैं।
राष्ट्र - सुरक्षा     सैनिक  देता।
मम्मी   मुझे  न  बनना  नेता।।

साक्षर क्या  मैं  शिक्षित बनकर।
सेवा    करूँ  वतन की जी भर।।
सद  -  मानव     ही  नैया  खेता।
मम्मी    मुझे  न  बनना  नेता।।

💐 शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
👨‍🏭 डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम'

02.11.2019 ◆7.30 अपराह्न।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किनारे पर खड़ा दरख़्त

मेरे सामने नदी बह रही है, बहते -बहते कुछ कह रही है, कभी कलकल कभी हलचल कभी समतल प्रवाह , कभी सूखी हुई आह, नदी में चल रह...