♾★★♾★★♾★★
मम्मी मुझे न बनना नेता।
अब का नेता भी क्या देता।।
पढ़ - लिखकर मैं नाम कमाऊं।
नित विद्यालय प ढ़ने जाऊँ।।
विद्यालय तम को हर लेता।.
मम्मी मुझे न बनना नेता।।
बिना पढ़े भी नेता होते।
बीज ज़हर के जन में बोते।।
भरते वह आँखों में रेता।
मम्मी मुझे न बनना नेता।।
ऊपर बगला भीतर कौवा।
मानव - तन में काला हौआ।।
घड़ियाली आँसू रो देता।
मम्मी मुझे न बनना नेता।।
नेता क्या सेवा करते हैं?
सीमा पर सैनिक मरते हैं।
राष्ट्र - सुरक्षा सैनिक देता।
मम्मी मुझे न बनना नेता।।
साक्षर क्या मैं शिक्षित बनकर।
सेवा करूँ वतन की जी भर।।
सद - मानव ही नैया खेता।
मम्मी मुझे न बनना नेता।।
💐 शुभमस्तु !
✍रचयिता ©
👨🏭 डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम'
02.11.2019 ◆7.30 अपराह्न।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें